Wednesday, December 2, 2009

हनुमान चालीसा

श्री गुरु चरण सरोज रज
निज मनु मुकुर सुधार
बनाराऊ रघुबीर बिमल जसु
जो दायक फल चार।
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन कुमार
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहू कलेस बिकार


जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तीनहू लोक उजागर
राम दूत अतुलित बलधामा
अनजानी पुत्र पवन सुत नामा

महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुंचित केसा

हाथ ब्रज और ध्वजा
बिराजे
कांजे मूंज जनेऊ साजे
संकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग बंधन

विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे के आतुर
प्रभु चरित सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया

सूक्ष्म रूप धरी सियांही दिखावा
बिकट रूप धरी लंका जरावा
भीम रूप धरी असुर संहारे
राम चंद्र के काज सवारें

लाये सजीवन लखन जियाये
श्री रघुबीर हरसी उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिया भरतहि सम भाई

सहस बदन तुमरो जस गावे
अस कही श्रपति कंठ लगावे
सनकादिक ब्रम्हादी मुनीसा
नारद सारद सहित अहिसा

यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कबी कोबिद कही सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रिवाही कीन्हा
राम मिलाय राज पड़ दीन्हा

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना
लंकेश्वर भय सब जग जाना
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू

प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहि
जलधि लांघे गए अचरज नाही
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते

राम दुआरे तुम रखवारे
होत आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक कहू को डरना

आपण तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांकते काँपे
भूत पिशाच निकट नही आवे
महाबीर जब नाम सुनावे

नासे रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट से हनुमान छुड़ावे
मन कर्म वचन ध्यान जो लावे

सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काल सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावे
सोई अमित जीवन फल पावे

चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधू संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे

अष्ट सीधी नव निधि के दाता
अस बार दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा

तुम्हरे भजन राम को पावे
जनम जनम के दुःख बिसरावे
अंत काल रघुबर पुर जाई
जहाँ जन्म हरी भक्त कहाई

और देवता चित धरई
हनुमत सेई सब सुख करई
संकट कटे मिटे सब पीरा
जो सुमिरे हनुमत बलबीरा

जय जय जय हनुमान गोसाई
कृपा करो गुरु देव की नाई
जो सैट बात पाठ कर कोई
चुटाही बंदी महा सुख होई

जो यह पढे हनुमान चालीसा
होए सिधि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरी चेरा
कीजे नाथ हृदय महा डेरा


पवन तनय संकट हरण ,मंगल मूर्ति रूप
राम लखन सीता सहित ,ह्रदय बसहु सुर भूप
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