Tuesday, December 1, 2009

नवग्रह पूजा विधानं

    नवग्रह पूजा विधानं


    ब्रह्म- मुरारी-s- त्रिपुरांत-कारी, भानु, शशि, भूमि-सुतो
    बुध-श्चा गुरु -s- शुक्र शनि राहू केतवः कुरुवन्तु सर्वे
    मम सुप्रभातम

    आदित्याय सोमया मांगलाया बुधाय |
    गुरु शुक्र शनिभ्याश्चा राहावेकेतावे नमः ||

    सारे नवग्रह राहू केतु,सूर्य,चन्द्रमा,बुध,शुक्र,गुरु,मंगल,शनि को मेरा प्रणाम

    ब्रह्मामुरारिस्त्रिपुरा.न्ताकारी
    भानुषशी भूमिसुतो बुधाश्चा |
    गुरुश्चा शुक्रश्चा शनि राहू केतवः
    कुरवान्तु सर्वे मम सुप्रभातम ||

हर एक नक्षत्र के लिए
नवग्रह स्तोत्र
जपाकुसुमासा.काषम काश्यपेयं महाद्युतिम. .
तमोअरिम सर्वपापघ्नं प्रणतो.अस्मि दिवाकरम. ..

मतलब:मै सूर्य से प्रार्थना करता हूँ ,हे दिन बनाने वाले,सबके दुःख हरने वाले ,अन्धकार नाशक,कश्यप के उत्तरादिकारी हमारे जीवन से अन्धकार को आप अपनी चमक से दूर करें।

दधिशन^खातुश्हाराब्हम क्शीरोदारनवसंभावं. .
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकू ताभूश्हनाम. .. ..

मतलब:मैं उस चन्द्रमा को प्रणाम करता हूँ ,जो शंख और दही के समान शांत हैं ,जो दूध के उस समुद्र से निकला है ,जिसके पास सोम(उनका खरगोश )है ,और जो शिव की जटाओं का श्रृंगार है


धारानीगार्भासम्भूतम विद्युत्कान्तिसमाप्रब्हम. .

कुमारं शक्तिहस्तं मां गलं प्रनामाम्यहम ॥ 3..

मतलब : मैं मंगल ग्रह को प्रणाम करता हूँ,जो बिजली की तरह चमकता है ,और एक जवान की तरह एक भला लिए खड़ा है

प्रिया{^.}गुकलिकाश्यामम रूपेनाप्रतिमम बुधं. .
सौम्यं सौम्यगुनोपेतं तं बुधं प्रनमाम्यहम ..

मतलब: मैं बुध देव को प्रणाम करता हूँ ,जो कंकुनि के अंकुर की तरह काला है ,जिसकी सुन्दरता विषम है ,सौम्य और अनुरूप है।

देवानां ^इश्हीनाम गुरु. काज्न्चानासा.न्निब्हम.
बुद्धिभूतम त्रिलोकेषम तं नमामि बरइहस्पतिम..

मतलब :मैं उस गुरु देव की प्रार्थना करता हूँ ,जो सरे ऋषि मुनिओं के गुरु हैं ,जो ज्ञान के अवतार हैं ,और जो तीनो लोकों के स्वामी हैं

हिमाकुंदाम्रइनालाब्हम दैत्यानां परमम् गुरुम. .
सर्वशास्त्रप्रवाक्तारम भार्गवं प्रनमाम्यहम ..

मतलब :मैं उस शुक्र देव को प्रणाम करता हूँ ,जो दैत्यों के अन्तिम गुरु हैं ,जो शिक्षा के प्रकाश हैं,जो सफ़ेद चमेली के रेशे की तरह चमकते हैं

नीला.न्जनासमाभासम रविपुत्रं यमाग्रजम . .
छायामार्तान्दसम्भूतम तं नमामि शनैश्चरं ..

मतलब: मैं उस शनि देव को प्रणाम करता हूँ ,जो सूर्य और छाँव से जन्में हैं ,जो यम के बड़े भाई हैं,जो सूर्य की संतान हैं,जो काजल की तरह काले हैं

अर्धकायं महावीर्या. चंद्रादित्याविमार्दानाम.
सीन्हिकागार्भासम्भूतम तं राहुम प्रनमाम्यहम. ..

मतलब : मैं राहू देव को प्रणाम करता हूँ ,जिसका अर्ध शरीर है, वीर है ,जो सूर्य और चन्द्रमा को ग्रसित करते हैं ,और जो सिम्हिका के पुत्र हैं।

पलाशापुश्ह्पसा.न्काषम ताराकाग्रहमस्ताकम .
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुम प्रण्मम्यहम ..

मतलब :मैं उस केतु देव को प्रणाम करता हूँ ,जो पलाश के फूल की तरह हैं ,जिनके मस्तक पर ग्रह और तारे है ,जो क्रूर और भयंकर हैं।

इति व्यासमुखोद्गीतम याः पठेत्सुसमाहितः
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न नाशान्तिर्भाविश्ह्यती१०

मतलब :जो कोई भी व्यास के गाने को सुनते हैं ,वे हमेशा खुश ,संतुष्ट ,सशत्त,शूरवीर,बलवान बने रहतें हैं वे दिन रात कठिनाईयों से लड़ने की क्षमता रखतें हैं

नारानारीन्र इपानाम भावेद्दुह्स्वप्नानाशानाम .
ऐश्वर्यमातुलम तेश्हामारोग्यम पुश्हतिवार्धनाम

मतलब: मनुष्यों ,राजाओं ,औरतों सभी के दुर्स्वपना मिटा दिए जायेंगे और उन्हें धन ,आरोग्यता ,धान्य से परिपूर्ण कर दिया जाएगा

ग्रइहनाक्षत्रजाह पीदास्तास्कराग्निसमुद.ह्भावाह .
ताः सर्वाः प्रशमं यान्ति व्यासो भ्रुते सान्शयाह .

मतलब: सारे दुःख दर्द को अग्नि में नाश कर दिया जाएगा ,सारे नक्षत्र शांत हो जायेंगे ,यह व्यास जी की कथन है

इति श्रीव्यासविरचितम नवग्रहस्तोत्रम सम्पूर्णं.






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