Tuesday, December 1, 2009

दुर्गा आरती


जय अम्बे गौरी मैया, जय श्यामा गौरी
निशदिन तुमको ध्यावत, हरी ब्रह्मा शिवरी ,
जय अम्बे....

मांग
सिंदूर बिराजत, टिको मृग्मद्को ,
उज्जवलसे दो नैना, चन्द्रवदन निको ,
जय अम्बे ....

कनक
समान कलेवर, रक्ताम्बर राजे,
रक्तपुष्प गलमाला, कंठहार सजे ,
जय अम्बे ....

केहरी
वहां रजत, खड्ग खप्पर धारी
सुर नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी,
जय अम्बे....

कानन
कुंडल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम्राजत ज्योति,
जय अम्बे....

शुम्भ
- निशुम्भ विदारे, महिषासुर घटिया
धूम्र-विलोचन नैना, निशदिन मदमाती
जय अम्बे....

ब्रह्मणि
, रुद्रानी तुम कमला रानी,
अगम-निगम बखानी, तूर्ण शिव पटरानी ,
जय अम्बे....

चौंसठ
योगिनी गावत, नृत्य करत भैरों ,
बजत तब मृदंगा, और बजत डमरू,
जय अम्बे...

तुम
हो जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पति करता,
जय अम्बे....

भुजा
चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी,
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ,
जय अम्बे....

कंचन
थाल विराजत, आगरु कपूर बाती
मलकेतु में रजत, कोटिरतन ज्योति,
जय अम्बे....

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