श्री साईं के ग्यारह वचन
१। जो शिर्डी में आएगा । आपद दूर भगायेगा ।
२। चढे समाधी की सीढी पर। पैर टेल दुःख की पीढी पर।
३। त्याग शरीर चला जाऊंगा। भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा।
४। मन में रखना ढृढ विश्वास। करे समाधी पूरी आस ।
५। मुझे सदा जीवित ही जानो। अनुभव करो सत्य पहचानो ।
६। मेरी शरण आ खाली जाए। हो तो कोई मुझको बताये ।
७। जैसा भाव रहा जिस जन का। वैसा रूप हुआ मेरे मन का ।
८। भार तुम्हारा मुझ पर होगा। वचन न मेरा झूठा होगा।
९। आ सहायता लो भरपूर। जो माँगा वह नही है दूर।
१०। मुझमें लीन वचन मन काया। उसका ऋण न की चुकाया।
११। धन्य धन्य वह भक्त अनन्य। मेरी शरन्तज जिसे न अन्य।
Saturday, August 8, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment